Panna Ratna
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- पन्ना रत्न धारण करने से व्यक्ति की स्मरण शक्ति बढ़ती है। बुद्धि तेज होती है।
- स्वास्थ्य अच्छा रहता है।
- नौकरी और बिजनेस में तरक्की मिलती है।
- वाणी में निखार आने लगता है।
- बिजनेस में सफलता मिलती है।
- अन्न-धन में वृद्धि होती है।
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कला के क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए यह उत्तम रत्न है। अगर आप संगीत, फैशन डिज़ाइनिंग, पेंटिंग और इंटीरियर डिज़ाइनिंग जैसे क्षेत्रों में अपना करियर बनाना चाहते हैं तो पन्ना स्टोन इस काम में आपकी मदद कर सकता है। पन्ना पहनने से नए विचार मन में आते हैं। प्रतियोगिता में जीतने में भी यह रत्न मददगार है।
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यदि आप उन लोगों में से हैं जो अपने विचारों को ठीक तरह से व्यक्त नहीं कर पाते हैं, तो आपको भी बुध का एमरैल्ड स्टोन धारण करने से लाभ होगा। नेता, वक्ता, मैनेजर और टीम लीडर को पन्ना पहनने से जीवन में अपार सफलता मिलने के योग हैं। इस रत्न की सकारात्मक शक्तियां व्यक्ति में ऊर्जा को बढ़ाती हैं।
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व्यापारियों के लिए तो यह रत्न किसी चमत्कार से कम नहीं है। पन्ना पहनने से व्यापार में नुकसान उठाने और धोखाधड़ी की संभावना बहुत कम हो जाती है।
पन्ना रत्न स्वास्थ्यवर्द्धक लाभ –
पन्ना एवं हीलिंग पॉवर होती है। एलर्जी, सांस से संबंधित बीमारियों, त्वचा से जुड़ी परेशानियों और तंत्रिका विकारों से ग्रस्त व्यक्ति को पन्ना पहनने से लाभ होता है।
यदि किसी व्यक्ति को बोलने में दिक्कत होती है या हकलाहट की समस्या है तो उसे भी पन्ना स्टोन पहनना चाहिए।
यदि आपके घर में कोई सदस्य लंबे समय से बीमारी पड़ा है या दवाएं भी उसकी हालत में सुधार नहीं ला पा रही हैं तो आप उन्हें पन्ना स्टोन पहनाएं। इस रत्न के प्रभाव से सभी प्रकार की व्याधियों को दूर किया जा सकता है।
पन्ना पहनने से आंखों की रोशनी भी तेज होती है और आंखों को आराम मिलता है।
यह रत्न मानसिक विकारों को दूर करता है और धारणकर्ता को मानसिक रूप से स्थिर एवं मजबूत बनाता है। डिप्रेशन को भी इस स्टोन की मदद से दूर किया जा सकता है।
ऐसा माना जाता है कि यदि गर्भवती महिला की कमर पर पन्ना बांध दिया जाए तो उसका प्रसव आसानी से हो जाता है।
पन्ना रत्न पहनने की विधि – Panna ratna dharan karne ke fayde
पन्ना रत्न को शुक्ल पक्ष के या किसी भी बुधवार को पहन सकते हैं। बुधवार की सुबह स्नान के बाद अपने घर के पूजन स्थल में पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख कर के बैठ जाएं। अब गंगा जल या दूध में पन्ना रत्न को डुबो दें। इसके बाद 108 बार ‘ऊं बुं बुधाय नम:’ मंत्र का जाप करें और फिर धूप-दीप दें। अब पन्ना रत्न को निकालकर अनामिका अंगुली में धारण कर लें।
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